रीढ़ की हड्डी में दर्द के कारण व उपचार
रीढ़ की हड्डी में दर्द के कारण व उपचार
आज महानगरों की आपाधापी भरी तनावपूर्ण जीवनशैली, गलत रहन-सहन, शारीरिक श्रम की कमी, बैठने व सोने के गलत ढंग, भीड़ भरी सड़कों पर गाड़ी चलाने आदि के कारण लोगों में रीढ़ (स्पाइन) संबंधी बीमारी तेजी से फैल रही है । इन दिनों बड़ी संख्या में युवा भी रीढ़ के विकारों से ग्रस्त हैं । इन विकारों में स्लिप्ड डिस्क की समस्या प्रमुख है । रीढ़ की हड्डी में खराबी के कारण या तो पीठ या कमर में असहनीय दर्द होता है या स्थिति बिगड़ने पर मरीज के पैर विकारग्रस्त हो सकते हैं ।
रोग का स्वरूप और कारण
स्लिप्ड डिस्क की समस्या से हर व्यक्ति अपने जीवन-काल में कभी न कभी ग्रस्त हो सकता है, लेकिन पहली बार स्लिप्ड डिस्क होने वाले 10 लोगों में से केवल एक व्यक्ति को सर्जरी की जरुरत पड़ती है और नौ लोग बेडरेस्ट व दवाओं से ठीक हो जाते हैं |
वस्तुतः रीढ़ की हड्डी के कारण ही हम सीधा चल पाते हैं | शरीर को अत्यधिक मोड़ने या गलत तरीके से झुकने से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है | कभी-कभी अपनी सामर्थ्य से अधिक बोझ उठाने के कारण भी हम स्लिप्ड डिस्क को बुलावा देते हैं । इससे हमारी कमर, गर्दन व कूल्हों पर बुरा प्रभाव पड़ता है । शरीर में सुन्नपन या लकवा भी इस समस्या के दुष्प्रभाव से हो सकते हैं । इसके अलावा जिम में गलत तरीके से वजन उठाना या अन्य व्यायामों को समुचित रूप से न करना भी स्लिप्ड डिस्क की समस्या पैदा कर सकता है ।
स्पाइन की बनावट
रीढ़ की हड्डी प्रायः 33 हड्डियों के जोड़ों से बनती है । प्रत्येक दो हड्डियां आगे की तरफ एक डिस्क के द्वारा और पीछे की तरफ दो जोड़ों के द्वारा जुड़ी रहती हैं । ये डिस्क प्रायः रबड़ की तरह होती हैं, जो इन हड्डियों को जोड़ने के साथ-साथ उन्हें लचीलापन प्रदान करती हैं। इन्हीं डिस्क में उत्पन्न हुए विकारों को स्लिप्ड डिस्क कहते हैं |
स्लिप्ड डिस्क के लक्षण
1. स्लिप्ड डिस्क की समस्या में कमर दर्द एक प्रमुख लक्षण है । यह दर्द कमर से लेकर पैरों तक जाता है ।
2. दर्द के साथ ही साथ पैरों में सुन्नपन महसूस होता या पैर भारी महसूस होते हैं ।
3. कई बार लेटे-लेटे भी कमर से पैर तक असहनीय दर्द होता रहता है
4. नसों में एक अजीब प्रकार का खिंचाव व झनझनाहट होना स्लिप्ड डिस्क का एक अन्य लक्षण है । यह झनझनाहट पूरी नस में दर्द उत्पन्न करती है ।
5. डिस्क के प्रभावित भाग पर सूजन होना ।
इस समस्या से निजात पाने के लिए चार से छह सप्ताह का समय लगता है । कई बार व्यायाम व दवाओं से भी राहत मिलती है । यदि मरीज को अत्यधिक पीड़ा हो, तो दो से तीन दिनों तक बेड रेस्ट करने की सलाह दी जाती है । ऐसी अवस्था तब उत्पन्न होती है, जब डिस्क का अंदरूनी भाग बाहर की तरफ झुकने लगता है । स्लिप्ड डिस्क के लक्षण और इसमें होने वाला नुकसान इस पर निर्भर करता है कि डिस्क का झुकाव कितना हुआ है ।
स्लिप्ड डिस्क का इलाज
स्लिप्ड डिस्क के इलाज के लिए कई बार सर्जरी भी करनी पड़ती है । कई बार व्यायाम या दवाएं जहां कारगर नहीं होती हैं, वहां सर्जरी करना आवश्यक हो जाता है । डिस्क से जुड़े भाग जो बाहर की तरफ आने लगते हैं, उन्हें ठीक करना इस सर्जरी का लक्ष्य होता है । इस प्रक्रिया को डिस्केक्टॉमी के नाम से जाना जाता है, लेकिन सर्जरी का भी सर्वश्रेष्ठ विकल्प हैं-इंडोस्कोपिक डिस्केक्टॉमी ।
प्रक्रिया
इंडोस्कोपिक डिस्केक्टॉमी के अंतर्गत स्पाइन तक पहुंच कायम करने के लिए एक बहुत ही छोटा चीरा लगाया जाता है । डिस्क को देखने के लिए इंडोस्कोप की सहायता ली जाती है । इंडोस्कोप के एक किनारे पर प्रकाश स्रोत और कैमरा लगा होता है । एनेस्थीसिया लोकल हो या जनरल यह इस बात पर निर्भर करेगा कि स्लिप्ड डिस्क पीड़ित शख्स के स्पाइन में कहां पर स्थित है । चीरा लगाकर इंडोस्कोप से देखते हुए उस तंत्रिका पर पड़ने वाले दबाव को दूर कर देते हैं, जिसके कारण दर्द हो रहा था । औसतन तीन सप्ताह बाद लोग अपनी दिनचर्या फिर से शुरू करने लायक हो जाते हैं ।
कमर दर्द से बचने के कुछ टिप्स
1. व्यायाम करते समय यह हमेशा याद रखें कि आप जो भी व्यायाम करें, वह अधिक जटिल न हो |
2. उठने-बैठने के ढंग में परिवर्तन करें । बैठते वक्त सीधे तन कर बैठें ।
3. कमर झुकाकर न बैठें और न ही चले । कंप्यूटर पर काम करते समय झुककर न बैठें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें |
4. अपनी क्षमता से अधिक वजन न उठाएं | नर्म या गुदगुदे बिस्तर पर न सोएं बल्कि सपाट पलंग या तख़्त पर सोएं |
5. वजन को नियंत्रित रखें |
6. तनाव की स्थितियों से बचें | कोई भी मनोरंजक क्रियाकलाप करें, जिससे ध्यान दूसरी ओर बंटे |
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